Bhopal gas tragedy in hindi – भोपाल गैस त्रासदी

Bhopal gas tragedy in hindi





भोपाल गैस ट्रेजेडी –bhopal gas tragedy in hindi

आज के लेख मैं जानते है bhopal gas tragedy in hindi  2 december 1984 की वह  भयावह रात जिस रात को हजारों लोगों की जान चली गई इस घटना को लगभग 40 वर्ष हो चुके है फैक्ट्री से निकली जहरीली गैस के कारण हजारों बेगुनाह लोगो हजारों बेगुनाह पशु पक्षियों को mot ki नींद सुला दिया इस घटना के कारण न जाने कितना नुकसान हुआ सरकार आज तक उसकी भरपाई नहीं कर पाई ..
दुनिया का सबसे खतरनाक  industrial disaster आद्योगिक त्रासदी – Bhopal gas kand
Bhopal gas tragedy  जिसने एक रात मैं हजारों लोगो की जान ले ली।आखिर क्या हुआ 3 दिसंबर 1984 की रात को जिसने पूरे भोपाल शहर को हिला कर रख दिया


Bhopal gas tragedy क्या कारण था–

भोपाल शहर मैं एक फैक्ट्री union carbide नाम की कम्पनी यह एक अमेरिकन कंपनी है इसके पूरे दुनिया मैं प्लांट है भोपाल मैं जो इसका प्लांट था वहां insecticide  बनता था। उसमे उस रात कुछ लोग काम कर रहे थे जो लोग रात की ड्यूटी पर थे लगभग रात को 11 बजे के आस पास उन्हे एक अजीब सी गैस का महसूस होता है और फिर उनकी आंखों मैं जलन सी होने लग जाती है फैक्ट्री मैं काम कर रहे लोगो ने जब पता करा तो मालूम हुआ  कि एक पाइप से लिक्विड निकल रहा है और उसके साथ मैं पीले रंग के गैस निकल रही थी जब वर्कर ने इसके बारे मै अपने अपने सीनियर को बताया तो सीनियर को लगा ये कोई छोटा मोटा लीकेज होगा यह आम बात है  रात को 12 बजे tea breake ka समय हो गया तो सीनियर ने कहा पहले अपनी चाय पी लेते  है उसके बाद देख लेंगे लेकिन जब वह चाय पीकर आते है तो जो स्मेल आ रही थी गैस लीकेज के कारण वह बहुत तेज हो गई और उनकी आंखे बहुत जलने लग गई वह अपनी आंख ठीक से खोल नही पा रहे थे और साथ मैं उनको खांसी भी होने लग गई
और फिर अगले कुछ ही घंटो मैं यह गैस हवा के जरिए भोपाल शहर मैं फेल जाती है और फिर अगले  2  3 दिनों मैं हजारों लोग मारे जाते है इस गैस के कारण..
इस प्लांट मैं  mic गैस बनाई जा रही थी । उसको स्टोर किया जाता था तीन बड़े टैंको मैं जो की जमीन के नीचे लगाए गए थे इन टैंको मैं दो टैंको को केवल 60 प्रतिशत भरा जाना था और एक टैंक को इमरजेंसी के लिए खाली रखना पड़ता था यह कंपनी के सुरक्षा के नियम थे।  लेकिन सुरक्षा नियमो को दरकिनार रखते हुएइन टैंको को इनकी कैपेसिटी  यानी 60 पर्सेंट से ज्यादा mic गैस से भरा था और जो तीसरा टैंक को आपातकाल की स्तिथि के लिए खाली रखा जाना था उसमे भी गैस भरी गई थी ज्यादा गैस को स्टोर करने के लिए ।कंपनी ने और भी बहुत से सेफ्टी नियमो का पालन नहीं किया और पाइपों की मेंटेनेंस भी ठीक से नहीं हुई थी  बहुत safty मेजर थे जिनको कंपनी ने अनदेखा किया   

MIC गैस क्या है 

mic ka फुल फॉर्म है methylsocyanate मिथाइलआइसोसाइनाइट । इसका  उपयोग कीटनाशक बनाने के लिए किया जाता था। 


आख़िर क्या हुआ 2 दिसंबर 1984 की रात को

रात को 9 बजे night shifts ke वर्कर काम पर आए उन्होंने रोज की तरह पाइप  पानी डालकर चेक करना शुरू किया उन्होंने देखा कि पानी एक तरफ डालने से दूसरी तरफ से बाहर नहीं आ रहा है वह अपने सुपरवाइजर को बताते है इस बारे मै तो सुपरवाइजर उनको कहता है पानी को पाइप पर चलने दो लेकिन पाइप पर slip blind लगी होती है जो पानी को Mic गैस के टैंक मैं जाने से रोकती थी लेकिन पाइप पर  उस दिन slip blind नहीं लगी हुई थी जिस कारण पानी mic टैंक मैं चला गया इस टैंक मैं mic गैस की भारी मात्रा थी इसमें जब पानी आया तो पानी के मिलने के कारण इसमें खतरनाक रिएक्शन होना चालू हो गया और पाइप मैं कहीं से लीकेज चालू हो गई । लेकिन जब वर्कर को इसके बारे मै पता चला तो वह लीकेज  ढूंढना चालू करते है और उन्हे पाइप पर एक जगह leakage मिल भी जाता है लेकिन लीकेज ठीक करने के बजाय वर्कर अपनी टी ब्रेक पर चले जाते है । लेकिन जिस टैंक मैं mic गैस के साथ पानी मिल गया था उसमे रिएक्शन बढ़ता जा रहा था इसका जब प्रेशर जब बहुत बढ़ने लग गया तो जमीन के नीचे का टैंक फट गया लगभग रात को एक बजे स्थिति बहुत खतरनाक हो गई बहुत  मात्रा मैं जहरीली गैस हवा मैं फेल गई और देखते देखते यह गैस भोपाल शहर मैं फेल जाती है लोग जो रात को सो रहे थे कुछ नींद मैं ही मर गए कुछ लोगों की सड़को पर भागते भागते  मौत हो जाती है लोगो को समझ नहीं आ रहा था क्या किया जाए ऐसे स्थिति मैं लोग सांस लेने मैं दिक्कत हो रही थी वह भागते हॉस्पिटल मैं लेकिन डॉक्टर को पता नही चल पा रहा था 
 अगले दिन यूनियन कार्बाइड कंपनी अपनी टेक्निकल टीम भेजती है इंडिया वह टैंक मैं जो बची हुई mic गैस थी वह उस  गैस का रिएक्शन कम करते है ।
अब सवाल उठता है यूनियन कार्बाइड कम्पनी आखिर क्यों हुआ यह हादसा । यह कंपनी सरकार को और अलग अलग oragainization को लाखो रुपए देते है राहत के लिए । warren anderson उस समय चेयर मैन थे इस कंपनी के वह पूरी घटना की  responsibliylty लेते है फिर अगले दिन उनको गिरफ्तार कर दिया जाता है  लेकिन साथ ही साथ कंपनी की लीगल टीम चेयर मैन  को बचाने की पूरी तैयारी करते है  फिर शुरू होता है  लीगल फाइट की जो आज के दिन तक चल रही है करीब 40 साल बाद तक 
आखिर क्यों इतना बड़ी घटना हुई इस पर भारत सरकार और यूनियन कार्बाइड कंपनी की अपने टीम की जांच करते है
इस पर   दोनो मानते है घटना हुई mic गैस के साथ पानी मिलने के कारण। यहां पर भारत सरकार कहती है  कंपनी की गलती है उन्होंने अपने स्टाफ को ठीक से ट्रेंड नही किया सेफ्टी उपकरण को ठीक से मेंटेन नहीं किया लेकिन कंपनी कहती है भारत सरकार की गलती है क्योंकि सरकार ने उन्हें सेफ्टी डिजाइन मैं बदलाव नहीं करने दिए और कंपनी का कहना है जो उस वक्त कंपनी मैं स्टाफ काम कर रहा था उनकी गलती है  लेकिन इस घटना मैं जिनकी जान गई उनके परिवार वालो को आज तक इंसाफ नहीं मिल पाया है आज भी लोग कोर्ट मैं कैसे फाइल करते है सड़को पर धरने देते है लेकिन उनकी जंग आज तक जारी है
तो यह थी भोपाल ges tragedy ke बारे मै 


धन्यवाद।









नोट– इस लेख मैं दी हुई जानकारी इंटरनेट पर मौजूद सामग्री और विभिन्न माध्यमों द्वारा दी गई है अगर कोई गलत जानकारी इस लेख मैं आपको लगती है तो हमे तुरंत बताए कमेंट मैं । हम उसे तुरंत सुधार करेंगे।



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